सरदार बल्लभ भाई पटेल
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
सरदार बल्लभ भाई पटेल
भारत-भीम असीम साहसी, वीर वीरता के अवतार।
वीर प्रवीर सेन सेनानी, सब सरदारों के सरदार।।
भाई बल्लभ से यदि होते, दस तो और तौर होता।
पाकिस्तान न बनने पाता, हिंदुस्तान और होता।।
जीवन जिसका जीवट का था, हार नहीं जिसने मानी।
निर्भय भय का नाम नहीं था, ठान सदा अपनी ठानी।।
गुरू मान करके गाँधी को, उनका कहना सदा किया।
लात मार करके अमृत को, विष का प्याला भरा पिया।।
आजादी की लड़ी लड़ाई, बन-बन बन्दी जयी हुआ।
कूद पड़ा मां जब संकट में, खाई देखी नहीं कुआ।।
विजय प्राप्त की वीर-व्रती ने, राज काज में भाग लिया।
छिन्न-भिन्न थी शक्ति देश की, एक सूत्र में बाँध दिया।।
चुट-पुट रहे राज रजवाड़े, पाठ पढ़ा कर मना लिया।
कुछ-कुछ रहे अकड़ में अपनी, डाट बता कर डरा दिया।।
ऐंठ दिखाते जो रहते थे, कर सीधा उनको छोड़ा।
खाकसार को खाक मिलाया, बने हुए गढ़ को तोड़ा।।
अभी ताक में पाक लगा है, उसको खटक रहा कश्मीर।
चीन चोट की तक में बैठा, सबकी दवा तुम्हीं अक्सीर।।
कड़े रोग की कड़ी दवा दे, तुमने बात सँभारी है।
रह-रह करके हमें आ रही, इससे याद तुम्हारी है।।
हिंसा त्याग अहिंसा भाई, हिंसक आये निडर चढ़े।
जब से मित्र बनाना सीखा, शत्रु तभी से अधिक बढ़े।।
अभी पार पाना दुर्लभ है, हमसे दूर किनारा है।
मिली प्रेरणा जो यह तुमसे, सबसे बड़ा सहारा है।।