षड़सठ – अड़सठ
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
षड़सठ – अड़सठ
षढ़सठ तो ज्यों त्यों कर लेता, अड़सठ और हमे देखना है।
क्या जाने संकट दूर हुआ, क्या जाने अभी भोगना है।।
शासन से सभी निराश हुए, क्या कहें नहीं कहते बनती।
इस बेदी बनी स्वार्थ संगी, क्या बैर नहीं तजते बनती।।
नाविक नैया के जो बनते, कर्तव्य कर्म वे ही भूले।
भावी भारत का भाग्य भला, फिर क्यों न अधर में ही भूले।।
जनमत के हित जनतंत्र बना, जनपद में जन-जागरण नहीं।
होना था फल बस वही हुआ, जब युद्ध युद्ध आचरण नहीं।।