दूसरा दृश्य
(पात्र- लक्ष्मण और राम)
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
दूसरा दृश्य
(पात्र- लक्ष्मण और राम)
लक्ष्मण- नाथ पग बन्दन करूँ मैं, देव ने यह दिन दिया।
राम- जब तुम्हें छाती लगाया, राज्य मैंने पा लिया।।
भ्रात क्या है ज्ञात तुमको, तात अब तक हैं कहाँ?
शयन गृह में यदि अभी हैं, वन्दना कर लें वहाँ।
बन्धु तुमसे क्या कहूँ मैं, हृदय धक्-धक् कर रहा।
स्वस्थ तो हैं तात मुझको, अशुभ सा कुछ लग रहा।।
भरत को बुलवा न भेजा, रह गई यह त्रुटि यहाँ।
गुरु सचिव विद्वान सब हैं, पर किसी ने नहिं कहा।।