भारत-भूमि
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
भारत-भूमि
स्वर्ग सदृश यह भूमि, हम रज शीष चढ़ावें।
सरवस इस पर वीर, इसे हम स्वर्ग बनावें।।
जनम इसी में मरण, इसी में शरण मिली है।
इससे हमको प्यार, प्रीति अनुराग दिली है।।
खेले खाये और, इसी में बड़े हुए हैं।
गिर गिर कर कितनी बार, इसी में खड़े हुए हैं।
शीतल सुखद समीर, बहे दिन रात पियारी।
ऋतु बसंत हेमंत, शिशिर, ग्रीष्म नित न्यारी।।
वन उपवन की छटा, घटा वे काली काली।
तट सरवर कोकिला, कूकती डाली डाली।।
मंगल कुंज निकुंज, फूल फल-फल सुखकारी।
लदी पत्ति फल फूल, भरी फूली फुलवारी।।
बापी बाग तड़ाग, दृश्य सौंदर्य बढ़ाते।
हाट घाट घाट, घूम फिर मदन अघाते।।
तपन दुख की छोड़, पथिक चल थकन उतरि।
पुनि पुनि ले ले जन्म, बसे यह भूमि विहारि।।
शाँति सदन सुख बदन, तरन तारन बलि जावें।
इसकी रक्षा हेतु, रक्त की धार चढ़ावें।।
सेवा इसकी करे, इसे दें जो हम चाहे।
इसके सुख में सुखी, और दुख में हम आंवे।।