जवाहर लाल नेहरू
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
जवाहर लाल नेहरू
लाखों में का लाल लाड़ला, मेरे लाल, जवार है।
मा का प्यारा जग उजियारा, इस पर विश्व निछावर है।।
भव्य जगत का, दिव्य दिवाकर, धन्य धरनि का, सुयशी हीर।
शान्तिवाद का प्रबल प्रचारक, राजक्रान्ति का विजयी वीर।।
विगुल बजाया जब बापू ने, बलिवेदी से हाथ उठा।
नरमैषी को भेंट चढ़ाने, घर का घर ही कूद पड़ा।।
वस्त्र विदेशी बायकाट था, बंद कर दिया था बिकना।
वृद्धा, माता, पत्नी, पुत्री, खड़ी लगाती थीं धरना।।
दुर्बल तन की प्रबल आतमा, अटल लगन की वह आमला।
सती तपस्वी प्रिय अनुरागी, कमल कोमला, कर कमला।।
संगम गर था बंद लगाया, वीर त्रिवेणी कुंभ बड़ा।
मालवीय का सत्याग्रह था, बहती गंगा कूद पड़ा।।
नमक अवज्ञा आन्दोलन था, अंगरेजों से ठनी हूई।
लाखों जन की मोड़ लगी थी, बंदूके थी, तीनी हुई।।
मात पिता भी चढ़े यान में, आये जन में जोश हुआ।
नमक बनाया नर केहरि ने, जय जनता में घोष हुआ।।
चातक जैसी टेक निमाई, जो प्रण ठाना. वही किया।
प्राणों पर भी बन बन आई, किन्तु न गंदा नीर पिया।।
मानस मन में वसा हुआ था, मानस ही ले कर छोड़ा।
ताल तलैया, देख देख के, इस मराल ने मुख मोड़ा।।