छठा दृश्य
( पात्र- राम, लक्ष्मण, सुमित्रा और उर्मिला )
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
छठा दृश्य
( पात्र- राम, लक्ष्मण, सुमित्रा और उर्मिला )
राम- बात मानो मत वृथा ही, बन्धु ऐसा हठ करो।
सोच मुझको तात का है, रह इन्हें धीरज धरो।।
लक्ष्मण- साथ प्रभु के मैं सदा से, आज मुझको छोड़ते।
प्राण तन का नेह नाता, नाथ उसको तोड़ते।।
राम- यदि यही है तो चलो मैं, छोड़ता नहिं साथ से।
किन्तु इसके लिए भइया लो विदा निज मात से।।
लक्ष्मण- हाथ जोड़ूँ माय मेरी, पाँव पड़कर कह रहा।
आप अनुमति दीजिए, मैं भ्रात संग बन जा रहा।।
सुमित्रा- तात सिय माता तुम्हारी, पितु तुम्हारे राम हैं।
अवध तुमको है वहाँ ही, सुत जहाँ सिय-राम हैं।।
लक्ष्मण- मात से आज्ञा मिली अब, रह गई है उर्मिला।
प्रिये तुमको ज्ञात है सब, यदपि मैं हूँ नहिं मिला।।
आप ही से अब प्रिये है, मुझे यह कहना रहा।
उचित यद्यपि नहीं फिर भी कीजिए मेरा कहा।।
उर्मिला- नाथ का दु:ख देख करके, हाय! मेरा दिल हिला।
दैव यह क्या आज मुझको, देखने को दिन मिला।।
आप स्वामी सेविका मैं, शीश धर आज्ञा करूँ।
रहूँ, जैसे भी रहूँ, मैं बज्र की छाती करूँ।।
अमिय पीकर क्यों न फिर अब, विष हलाहल मैं पिऊँ।
वर्ष चौदह की अवधि तक, चित्र दर्शन कर जिऊँ।।