श्रीमती इन्दिरा गांधी
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
श्रीमती इन्दिरा गांधी
नंदन बन सा आनन्द भवन, कंचन जिसमें बरसा करता।
मानव मन क्या देवों का मन, दर्शन करने तरसा करता।।
मोती थे लाल जवाहर थे, उसमें स्वरूप रानी कमला।
सब ही को हर्ष अपूर्व हुआ, ले जन्म जभी आई अमला।।
शुभ समय रहा शुभ घड़ी रही, तिथि पत्र में रोज योग देखा।
लक्ष्मी आई गृह लक्ष्मी के, नवयुग के लिए रूप रेखा।।
घर भर का प्रेम रहा उस पर, धन दौलत वही, वही भाया।
सब ही को देख रेख उस पर, सब ही की रही छत्रछाया।।
लालन पालन के साथ, शिक्षा भी अति उत्तम पाई।
जा जा देशों में किया भ्रमण, सब ही का कर अनुभव आई।।
शिक्षण भी और प्रशिक्षण भी, दोनों ही घर में मिला किये।
हो करके दक्ष रही सब में, घर बाहर अपने बना लिये।।
आजादी की भावना जगी, झंडा ले ले कर निकल पड़े।
बंदूकों के आगे जा जा, सीना ताने सब अकड़ खड़े।।
छिड़ गयी जंग सत्याग्रह की, सरकार किया बंदी करती।
जब पिता पितामह जेल गये, इन्दिरा कहाँ घर में रहती।।
दोनों ही माता पिता मिलें, जिस पुत्री को आदर्श जहाँ।
नाविक भी वही नाव की हो, फिर पार लगे वह क्यों न वहाँ।।
धनि धनि है देवी तुमको, तुमने जन हित में काम किया।
भारत की तुमने लाज रखी, नारी बन जग में नाम किया।।