बापू
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
बापू
बहते हैं बहने दो इनको, ये बहने के लिये बने।
गिरते हैं गिरने दो इनको, ये गिरने के लिये बने।।
तृप्त हुये संतप्त हृलय से, नियत रहे इनको मत रोको।
व्यस्त व्यक्ति आंखों के मोती, टपक रहे इनको मत टोको।।
वन वन कर दिन रात बिगड़ते, बिगड़ बिगड़ फिर बनते।
चढ़ चढ़ ऊँचे नीचे गिरते, गिर गिर नीचे फिर पड़ते।।
लहरों में ही मिल जाने को, लहरों से उठता पानी।
मिट्टी में ही मिल जाने को, मिट्टी से बनता पानी।।
सृष्टी का यदि यही नियम था, तो सब पर अटता होता।
जिसको मिलता आज दु:ख कल, उसको सुख मिलता होगा।।
किंतु नहीं होवे यह देता, समझ न आता क्या भ्रम है।
दुखियों को दु:ख ही दुख देता, सुखियों को सुख ही सुख है।।
हो निराश इस जीवन से ये, घाव पा रहे पाने दो।
सर्वनाश करते करने दो, फिर तकदीर बनाने दो।।
उर दहने से तन का दहना, धरे सहन कहलाता है।
वस्त्र बांटना नये पहनना, पहना नहीं कदावर है।