पंजाब केसरी लाला लाजपत राय
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
पंजाब केसरी लाला लाजपत राय
सेवक बना न देश जाति का, संकट से मन घबराया।
मानव का तन पाया उसने, किंतु न मानव बन पाया।।
जीवन में स्वारथ अपनाया, हित औरों का क्या करना।
भार बना भूतल पर आया, यह लाला जी का कहना।।
सजन सिरोमनि सजग सुनेता, सरस सुवक्ता शुभ बानी।
सबल समर्थक स्वाभिमान का, समर भूमि का सेनानी।।
दुखी देश को दैन दैव की, दया दयानिधि दिखलाई।
देख-देख के दृढ़-प्रतिज्ञ को, दमन नीति दिल दहलाई।।
दीन अनाथों का संरक्षक, नारी जग का प्राणाधार।
विधवा-नैय्या का बन नाविक, उसे लगाता रहता पार।।
दलित जनों को दिया सहारा, पकड़ निकाला दलदल से।
पतित हुओं को पार लगाया, दे-दे शिक्षा निज धन से।।
बल निर्बल का धन निर्धन का, सबके दिल में उसका मान।
कल बेकल को कम बेकन को, रहता उसको सबका ध्यान।।
कष्ट सहन कर कष्ट मिटाना, बिरले कर्मवीर का काम।
देश धर्म पर प्राण गमाना, जग में धर्मवीर का नाम।।
प्रबल प्रतापी वीर केशरी, ओज भरी उसकी बानी।
भाषण जिसका सुन होते थे, दोषी दिल पानी-पानी।।
जब उसने ललकार कहा यह, भारत भारतवालों का।
दम निकली शासन की उस दम, राज हुआ अब कालों का।।
काल कमीशन सइमन आया, वीर बली की बलि देने।
मानो कर्जन फिर से आया, जोश रगों में भर देने।।
लाज रखी बलि दे भारत की, कीर्ति रही तेरी जग छाय।
धन्य हुई सुत पा मां तुम-सा, वीर केहरी लाजपथ राय।।