श्री लाल बहादुर शास्त्री
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
श्री लाल बहादुर शास्त्री
निर्धन ही आगे सदा बढ़े, छोटे ही करते काम बड़े।
वे ही तो करके नाम गये, जो पैरों अपने आप खड़े।।
अमृत को चक्खा नहीं कभी, पीने को विष अति आतुर था।
रग रग में जिसके शौर्य भरा, प्रिय मा का लाल बहादुर था।।
संकटमय उसका जीवन था, कंटक-पथ उसने अपनाया।
कंचन रज कह के ठुकराया, कंगाली में ही सुख पाया।।
बेतरह सहे दु:ख बचपन से, पितु की न छत्रछाया पाई।
रह साथ जवाहर टंडन के, आजन्म देश सेवा भाई।।
मंत्री का पद जब मिलता है, कहते हैं होता नाम तभी।
पाकर के तज उसको देना, तेरा ही था यह काम कभी।।
सेनानी बन बन युद्ध किया, वह तंत्र विदेशी अलग किया।
फिर पाक आक्रमण जभी हुआ, उसके भी अच्छा सबक दिया।।
वह सदा शांति का पोषक था, उसको अशांति में दुख होता।
है एक नमूना इसका ही, वह ताशकंद का समझौता।।
अंतिम संदेश शांति का है, वे ताशकंद से चले गये।
हम आश लगाये निराश हुए, विकराल काल से छले गये।।