पं0 मोतीलाल नेहरू
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
पं0 मोतीलाल नेहरू
मोती मुक्ता मणि माणिक की, तेरे घर पर कब कमी रही।
गोदी तेरी भाँति-भाँति के, लालों से नित भरी रही।।
हीरा पन्ना लाल जवाहर, तेरी गोदी सभी पले।
सब का करती लालन-पालन बड़े प्यार से लगा गले।।
पराधीनता के उस युग के, तेरे यही सहारे थे।
धुंधली-धुंधली-सी दुनिया के, जगमग यही सितारे थे।।
सभी भक्त थे मातृभूमि के, सभी देश पर मरते थे।
सर्वस अपना दे-दे करके, सेवक बन कर रहते थे।।
नौरत्नों में रत्न निराला, मोती एक रत्न अनमोल।
पल-पल में तू जिसे बुलाती, मीठे बोल-बोल कर बोल।।
बुध्दि विवेक ज्ञान का सागर, पंडितवर विख्यात जहान।
तर्क-वितर्क निपुण गुण आगर, राजनीति नीतिज्ञ महान।।
मिला रत्न आ रत्नों में जब, घर दौलत नाता तोड़ा।
कामधेनु-सी प्रिया वकालत, लात मार करके छोड़ा।।
छोड़ा सारा ठाठ राजसी, छोड़ हुआ आनन्द खड़ा।
अनुगामी हो फिर गाँधी का, स्वतन्त्रता-संग्राम लड़ा।।
मोड़ लिया मुख सभी सुखों से, दुख में मां का साथ दिया।
हटा लिया निज मन सत्ता से, जन-सेवा का काम किया।।
असहयोग कर तथा योग कर, सदा मोरचा लिया किया।
बाहर रह कर भीतर घुस कर, अपना सिक्का जमा दिया।।
सब कुछ अर्पण श्रीचरणों में, मातृभूमि के करा किया।
वीर जवाहर सुत जौहर सा, ताज राज का बना दिया ।।
धन्य पिता वह धनि वह जननी, जिनने ऐसा पुत्र जना।
रत्न न केवल जो भारत का, अखिल विश्व का रत्न बना।।