पाकिस्तान-चरित्र
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
पाकिस्तान-चरित्र
लत वही पुरानी गई नहीं, तुम लड़े बराबर जाओगे।
जिनके संग रहते युग बीते, बन्दूक उन्हीं पर तानोगे।।
जिस पर जन्मे जिस गोद पले, तन को उसके ही भेद दिया।
जिस हांडी में तुमने खाया, उस हांडी में ही छेद किया।।
यह दिखा दिया है दुनिया को, हम नहीं किसी से लड़ते हैं।
इस पर भी होता जब हमला, हम रक्षा अपनी करते हैं।।
हम नहीं चारते लड़े भिड़े, देखे न किसी का वध होता।
प्रत्यक्ष नमूना इसका है, वह ताशकंद का समझौता।।
हम सदा शांति के प्रेमी हैं, हमको अशांति से घृणा रही।
खुद रहे रहन दे औरों को, तिद्धांत हमारा रहा यही।।
औरों की बढ़ती देख कभी, हम जले न जलनी बात करी।
हमने न चटाई कहीं करी, संग में न किसी के घात करी।।
कह कह हारे हम मिले जुले, पर नहीं तुम्हारा रूख पाया।
नाँ लड़े यहीं कर संधि रहे, प्रस्ताव किया तो ठुकराया।।
नित नये नये आरोप लगा, देते ही रहते हो धमकी।
लड़ना है तो सीधे कह दो, रई जाय न मन में ही मनकी।।
अब तक जो हुआ अचानक था, घुस घुस कर घर में दगा दिया।
आहट जो हुई संभल बैठे, कर करके पीछा भगा दिया।।
पर सबक न इससे यदि लोगे, रह-रह करके पछताओगे।
संकट में सबको डालोगे, सिर पत्थर से टकराओगे।।
जो अकड़ अकड़ कर जाते हैं, रण में वे नही ठहरते हैं।
जो गरज गरज कर आते हैं, बादल वे नहीं वरसते हैं।।
बातों से बनते शूर नहीं, झूरों की शकल बता देती।
हथियारों की भरमार कहीं, बुजदिल को शूर बना देती।।
हर समय हांकते डींग रहो, जैसे रणवीर बनाफर हो।
जो नहीं जानते जान गये, मिट्टी के शेर बहादुर हो।।
भीतर से तो भयभीत हुए, ऊपर से गीदड़ भबकी।
जाना चींटी के पर निकले, आई है तभी मौत लपकी।।