शिल्पी
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
शिल्पी
पत्थर की प्रतिमा के प्रति तो, तेरा प्रेम प्रसिद्ध बड़ा।
पाता निर्माती प्रतिमा का, उसके प्रति है हृदय बड़ा।।
शिल्पी की उस शिल्प कला का, सहस्र सहस्र श्रंगार हुआ।
किन्तु न क्या शिल्पी को पूरा, तन भी ढकना भार हुआ।।
नहीं मांग की इच्छा जिसको, उसके आगे मांग धरा।
किन्तु न दिन में एक बार भी, शिल्पी का है पेट भरा।।
छादन प्रतिपादन प्रतिमा का, जितना चाहो किया करो।
मानवता ही के पर नाते, निर्माता पर दया करो।।