डा0 राजेन्द्र प्रसाद
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
डा0 राजेन्द्र प्रसाद
सुरपुर का जब देवेन्द्र वहाँ, सुख स्वर्ग भोगता रहता था।
जनपद का तब राजेन्द्र यहाँ, जनता की सेवा करता था।।
बचपन से देश भक्ति भाई, देशी चीजें ही अपनाई।
देशी ही असन बसन देशी, देशी बातें ही मन भाई।।
कर्जन ने बंग-भंग करके, आन्दोलन को जब जन्म दिया।
तब ही से राजन बाबू ने, सक्रिय हो होकर काम किया।।
जब जली विदेशी कपड़ों की, नगरों में कसबों में होली।
नहिं मिली विदेशी एक कहीं, जिनने इनकी पेटी खोली।।
मोतीहारी में भेंट हुई, गाँधी से सर्वप्रथम इनकी।
पारस का जिसने काम किया, जग जानी बात रही उनकी।।
छिड़ गयी जंग आजादी की, नित असहयोग में योग दिया।
बन ब्रती रहा सत्याग्रह का, जो कुछ गांधी ने कहा किया।।
सुक्खों के ठुकराया उसने, दु:खों को हँस-हँस कर झेला।
बंदीगृह से नाता जोड़ा, सरबस देकर जाँ पर खेला।।
जन जन की सेवा आजीवन, करते ही करते स्वर्ग गये।
विश्राम तुम्हें था आवश्यक, आवोगे फिर से ताज नये।।