महंगाई
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
महंगाई
आज अपने हाथ ही, हम ह्रास अपना कर रहे।
आपसी में अड़ रहे, हम आपसी में लड़ रहे।।
बाहुबल हमसे नहीं. केवल दिखाने को बली।
दल बना घर में रहे, बाहर बने हैं निर्दली।।
लड़ झगड़ कर कर रहे, हम शक्ति अपनी नष्ट हैं।
देश मरता है मरे, हमको न कोई कष्ट है।।
तड़पते हैं भूख से, बच्चे बिलखते हैं रहें।
हम रहें आनंद से, क्या कौन कहते हैं कहें।।
धाक अपनी ही जमें, जग जो कहें सोई करे।
खाक में कोई मिले, कोई जिये कोई मरे।।
मज़हबी बू तो गई, उसने बनाया घर कहीं।
पक्ष है पर जाति का, अब तक गया बिलकुल नहीं।।
जब मिली स्वाधीनता, आशा हुई अब दिन फिरे।
एक आफ़त ते बचे, तो दूसरी में फिर घिरे।।
अब तुम्हारे बिन प्रभो, कोई न और सहाय है।
देश यह सब भांति से, असमर्थ है अनुपाय है।।
सेर का आटा नहीं, ना सेर भर की दाल है।
दीन भारत मर रहा, देखो तुम्ही क्या हाल है।।
नाम करुणा-निधि तुम्हारा, क्यों न फिर करुणा करो।
डूबती किश्ती भंवर में, पार कर कृपा करो।।