नेता सुभाषचन्द्र बोस
भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी, पंडित शिव नारायण शर्मा (1890-1976) द्वारा रचित कविताओं का संकलन।
नेता सुभाषचन्द्र बोस
भारत का अपमान कहाँ तक, भारतवासी करें सहन।
दास बने मानव की मानवता, मानव का हुआ पतन।।
राज विदेशी हटा रहेंगे, सबके दिल में यही लगन।
देश रहेगा होकर अपना, इस जीवन से भला मरन।।
युद्ध छिड़ गया स्वतंत्रता का, घर-घर कोई बचा नहीं।
हुई अवज्ञा राज नियम की, डर न किसी को रहा कहीं।।
असहयोग को कर गाँधी ने, सत्याग्रह से डरा दिया।
हाथ तिरंगा झंडा दे दे, हथियारों को हरा दिया।।
किंतु कहाँ संतोष उसे था, जिसके दिल में रोष भरा।
जिसे शूल शासन औरों का, वह सुभाष था जोश भरा।।
एक-एक दिन गिनता रहता, विषम वेदना सहता रहता।
देख-देख कर मा के दुख को, पीकर आँसू रहता था।।
आरों के दिल दरद हुआ था, उसके दिल में तड़प उठी।
औरों के उर सुलग रही थी, उसके उर में लपट उठी।।
और लगे चलने जिस पथ से, वह उस पथ से घूम पड़ा।
और चले शोलों से बचते, वह शोलों में कूद पड़ा।।
नजरबंद कर नजरबंद ने, खेल नजरबंदी खेला।
धूल झोंक सबकी आँखों में, बना शिवाजी का चेला।।
साधन साथी मिला न उसको, किन्तु नही साहस छोड़ा।
प्राण हथेली पर ले निकल, सफल हुआ नहिं व्रत तोड़ा।।
देश-देश में उसने फिर-फिर, सैन्य सेन संगठन किया।
अस्त्र-शस्त्र से किया सुसज्जित, नाम ‘हिन्द आजाद’ दिया।।
स्वयं बना सेनापति उसका, बिगुल बजाया कूच किया।
‘चलो-चलो दिल्ली’ कह करके, जय का नारा बोल दिया।।